Nindra Bech Dyu Koi Le to | निन्द्रा बेच दू कोई ले तो, रामो राम रटे तो तेरो मायाजाल कटेगी



निन्द्रा बेच दू कोई ले तोरामो राम रटे तो तेरो मायाजाल कटेगी॥टेर॥
भाव राख सतसंग में जावोचित में राखो चेतो।
हाथ जोड़ चरणा में लिपटोजे कोई संत मिले तो॥1
पाई की मण पाँच बेच दूजे कोई ग्राहक हो तो।
पाँचा में से चार छोड़ दूदाम रोकड़ी दे तो॥2
बैठ सभा में मिथ्या बोलेनिन्द्रा करै पराई।
वो घर हमने तुम्हें बतायाजावो बिना बुलाई॥3
के तो जावो राजद्वारेके रसिया रस भोगी।
म्हारो पीछो छोड़ बावरीम्हे हाँ रमता जोगी॥4
ऊँचा मंदिर देख जायोजहाँ मणि चवँर दुलाबे।
म्हारे संग क्या लेगी बावरीपत्थर से दुख पावे॥5
कहे भरतरी सुण हे निन्द्रायहाँ  तेरा बासा।
म्हें तो रहता गुरु भरोसेराम मिलण की आशा॥6

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