EK Lakadi Tu Ban Lakadi | एक लड़की तू बन लकड़ी अब देख तमाशा लकड़ी क

एक लड़की तू बन लकड़ी अब देख तमाशा लकड़ी क॥टेर॥
गर्भवास सै बाहर निकलाझूलै पालना लकड़ी का।
पांच बरस की उमर हुई तबहाथ खिलौना लकड़ी का॥1
बीस बरस की उमर भईतैयारी हुई व्याह करने की।
बाध सेवरा घोड़ी चढ़ गयातोरन मारा लकड़ी का॥2
चालीस बरस की उमर हुईफिकर लगी है बुढापै की।
साठ बरस की उमर हुई तबहाथ सहारा लकड़ी का॥3
अस्सी बरस की उमर हुईतैयारी हुई अब चलनै की।
चार जनै मिल तुझे उठावैंविमान बनाया लकड़ी का॥4
गंगा तट पर जाकर रखास्नान कराया गंगा का।
नीचै लकड़ी उपर लकड़ीचित्ता बनाव लकड़ी का॥5
आधम आध शरीर जला तबठोकर मारा लकड़ी का।
होरी जैसे फूंक दिया फिरटुकडा डाला लकड़ी का॥6
कहत कबीर सुणो भाई साधोखेला बना सब लकड़ी का।
ढोलक लकड़ी बाजा लकड़ीसितारा बना है लकड़ी का॥7

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