Karo Bhajan mat Daro Kisi Se | करो भजन मत डरो किसी से, ईश्वर के घर होगा मान



करो भजन मत डरो किसी सेईश्वर के घर होगा मान
इसी भजन सेभजन से हिरदै मँ उपजैगा ज्ञान॥टेर॥
भजन कियो प्रह्लाद भक्त नैबरे बरे कारज सार्यो।
हिरणाकुश नैअसुर नैराम नाम लाग्या खारा॥
हिरणाकुश यूँ कही पुत्र सँ बचन नहीं मान्या मेरा।
तोय अभी मारताबता सच राम नाम है कहाँ तेरा॥1
शेर
राम तो मेंराम मो मेंराम ही हाजर खड्या।
पिता तुझे दीखै नहींतेरी फरक बुद्धि में पड्या॥
कष्ट देख्यो भक्त में तब फाड़ खम्भा निसरिया।
रुप थो विकराल सिंह कोअसुर ऊपर नख धर्या॥
सहाय करी प्रह्लाद भक्त कीहिरणाकुश का लिया प्राण।
भजन कियो ध्रुव बालापन मेंबन में बैठयो ध्यान लगाय।
अन्न जल त्याग्यात्याग दिया पान पुष्प फल कछु   खाय।
कठिन तपस्या देख ध्रुव कीइन्द्र मन में गयो घबराय।
परियां भेजीभेज दयी आयो ध्रुव को सत्य डिगाय॥2
शेर
हुक्म पाकर इन्द्र को बा परी ध्रुव पे  गई।
फैल फैल्या भोत साबा तुरन्त मुर्छा खा गई।
माता तेरी हूँसही उठ बोल मुख से यूं कही।
ध्रुव ध्यान से चूक्यो नहींझक मारती पाछी गई।
उसी वक्त प्रभु आकर ध्रुव कोबैकुंठन का दिया वरदान।
भजन कियो गजराज जिन्हों कीडूबत महिमा कहूँ सारी।
अर्ध रैन की टेर सुनजाग उठे प्रभु बनवारी॥
लक्ष्मी बोली हे महाराजारैन बड़ी है अन्धियारी।
ईश्वर कहता भक्त परभीर पड़ी है अति भारी॥3
शेर
गरुड़ पे असवार हो केपवन वेग सिधाइया।
गरुड़ हार्योतब बिसार्यो नाद पैदल धाइया॥
अगन कर प्रभु चक्र सेतिनहू को काट गिराइया।
ग्राह मारनगज उबारननाथ भक्त बचाइया॥
उसी वक्त वैकुण्ठ पठा दियेगज और ग्राह की भक्ति पिछान।
भजन कियो द्रोपदी जिन्होंने दुष्ट दुःशासन  घेरी।
बा करुणा कीनी बचावोआज नाथ लज्जा मेरी।
रटूँ आपको नाम प्रेम सेहूँ चरणन की चित्त चेरी।
मोहे दासी जान के पधारोनाथ करो मतना देरी॥4
शेर
नगन होती द्रोपदी बा भजन से छिन में तरी।
चीर को नहीं अन्त आयोदुष्ट हार्यो उस घड़ी
भजन ही है सार बन्देधार मन में तू हरी।
भजन ही के काज देखोलाज द्रुपदी की रही
श्री लाल गोरीदत्त गाताभजन किए से हो कल्याण॥

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