Mahara Natwar Nagariya | औरे म्हारा नटवर नागरिया भगता कै क्यू नहीं आयो रै
औरे म्हारा नटवर नागरिया भगता कै क्यू नहीं आयो रै ॥टेर॥
धनो भगत के भगत पूरबलो जिनको खेत निपजायो रै।
बीज लेर साधां नै बाँट्यो बिना बीज निपजायो रै॥1॥
नामदेव थारो नानो लागै ज्यांको छपरो छायो रै।
मार मण्डासो छाबण लाग्यो लिछमी जूण खिंचायो रै॥2॥
सेन भगत थारो सुसरो लागै ज्यांको कारज सार्यो रै।
बगल रछानी नाई बणगो, नृप को शीश सवार्यो रै॥3॥
परसो खाती थारो पूरखो लागै ज्यांको पैड़ो पूठ्यो रै।
बिना बुलायै आपै आयो रात्यूं लकड़ो कूट्यो रै॥4॥
कबीरा काँई थारो काको लागै ज्यांघर बालम ल्यायो रै।
खांड खोपरा गिरी छुहारा आप लदावन आयो रै॥5॥
भिलणी काई थारी भुवा लागै जिणरो झूठो खायो रै।
ऊंच-नीच की कान न मानै रुच रुच भोग लगायो रै॥6॥
करमा कांई थारी काकी लागै जिणरो खीचड खायो रै।
धाबलियै को पड़दो दीन्यो रुच रुच भोग लगायो रै॥7॥
मीरा कांई थारी मासी लागै जिणरो विष तूं जार्यो रै।
राणो विषको प्यालो भेज्यो विष इमरत कर डार्यो रै॥8॥
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