Sada Jivan Sukh Se jeena | सादा जीवन सुख से जीना, अधिक इतराना ना चाहिए


सादा जीवन सुख से जीना, अधिक इतराना ना चाहिए।


 भजन सार है इस दुनियाँ में, कभी बिसरना ना चाहिये ||टेर॥
मन में भेदभाव नहीं रखनाकौन पराया कुण अपना।
ईश्वर से नाता सच्चा हैऔर सभी झूठा सपना॥
गर्व गुमान कभी ना करनागर्व रहै ना गले बिना।
कौन यहाँ पर रहा सदा सेंकौन रहेगा सदा बना॥
सभी भूमि गोपाल लाल कीव्यर्थ झगड़ना ना चाहिये॥1
दान भोग और नाश तीन गतिधन की ना चोथी कोई।
जतन करंता पच् मरगासाथ ले गया ना कोई॥
इक लख पूत सवा लाख नातीजाणै जग में सब कोई।
रावण के सोने की लंकासाथ ले गया ना कोई॥
सुक्ष्म खाना खूब बांटनाभर भर धरना ना चाहिये॥2
भोग्यां भोत घटै ना तुष्णाभोग भोग फिर क्या करना।
चित में चेतन करै च्यानणोधन माया का क्या करना॥
धन से भय विपदा नहीं भागेझूठा भरम नहीं धरना।
धनी रहे चाहे हो निर्धनआखिर है सबको मरना॥
कर संतोष सुखी हो मरीयेपच् पच् मरना ना चाहिये॥3
सुमिरन करे सदा इश्वर कासाधु का सम्मान करे।
कम हो तो संतोष कर नरज्यादा हो तो दान करे॥
जब जब मिले भाग से जैसासंतोषी ईमान करे।
आड़ा तेड़ा घणा बखेड़ाजुल्मी बेईमान करे॥
निर्भय जीना निर्भय मरना ,'शंभुडरना ना चाहिये॥4

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