Bat Jarasi Hosi Likhi Takdeer | बस बात जरासी, होसी लिखी रे तकदीर
बस बात जरासी, होसी लिखी रे तकदीर॥टेर॥
लिखी करम की कैयां टलसी, तेरो जोर कठे ताई चलसी
दुरमत करयां रे घणो जी बलसी, दुरमत छोड़ो मेरा बीर॥1॥
तूँ क्यूँ धन की खातिर भागे, किस्मत तेरे सागे सागे
तूँ सोवे तो भी या जागे थ्यावस ले ले मेरा बीर॥2॥
तेरो मन चोखी खाने पर, छाप लगी दाने दाने पर
मिल जासी मौको आने पर,जिस रे दाने मे तेरो सीर॥3॥
के चावे तू चोखा संगपन, के चावे तूँ मान बड़प्पन
होवे एक विचारे छप्पन, शंभु भजो रे रघुवीर॥4॥
No comments: