Nipajai Nipajai Re bira | निपजै निपजै रे बीरा-म्हारे रे साधा के
निपजै निपजै रे बीरा-म्हारे रे साधा के।
ऐ उनाल्यों, स्यालो निपजै रे॥टेर॥
मनवो हाली चल्यो खेत मे, काँधे ज्ञान कुवाड़ी।
भरे खेत में दो दो काटे, पाप कुबद की डाली॥1॥
मनवो हाली, मनसा हालन, छाक सुवारी ल्याव।
पहली तो या साध जीमाव, पाछे काम करावै॥2॥
चन्दन चौकी चढ़यो डूचँव, खेत चिडकलि खावे।
ज्ञान का गोफिल लिया है हाथ में, कुबद चिडकलि उड़ावे॥3॥
पचलँग पाल मेढ कर मनकी, पाँच बलदियां जोती।
ओम् सोह का पलटा देकर, कुरक कुरक बरसाव॥4॥
धोला सा दोय बैल हमारा, रास पुरानी सेती।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, या साधा की खेती॥5॥
ऐ उनाल्यों, स्यालो निपजै रे॥टेर॥
मनवो हाली चल्यो खेत मे, काँधे ज्ञान कुवाड़ी।
भरे खेत में दो दो काटे, पाप कुबद की डाली॥1॥
मनवो हाली, मनसा हालन, छाक सुवारी ल्याव।
पहली तो या साध जीमाव, पाछे काम करावै॥2॥
चन्दन चौकी चढ़यो डूचँव, खेत चिडकलि खावे।
ज्ञान का गोफिल लिया है हाथ में, कुबद चिडकलि उड़ावे॥3॥
पचलँग पाल मेढ कर मनकी, पाँच बलदियां जोती।
ओम् सोह का पलटा देकर, कुरक कुरक बरसाव॥4॥
धोला सा दोय बैल हमारा, रास पुरानी सेती।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, या साधा की खेती॥5॥
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