Mahar Malik ke Darbar mein | म्हारे मालिक के दरबार, आवणा जतीक और नर सती

म्हारे मालिक के दरबारआवणा जतीक और नर सती नुगरा मिलज्यो रे मती ॥टेर॥
ज्ञान सरोदै सुरत पपैयामाखन खाणा मती 
जै खाणा तो शायर खाणाजाँ में निपजै रति रै 1
पहली तो या गुप्त होवतीअब हो लागी प्रगटी 
राजा हरिशचंद्र तो सिद्ध कर निकल्यालारे तारा सती रै 2
कै योजन में संत बसत हैकै योजन में जती 
नौ योजन में संत बसत हैदस योजन में जती रै 3
दत्तात्रेय ने गोरख मिल गयामिल गया दोनों जती 
राजा दशरथ का छोटा बालकगाबै लक्षमण जती रै 4

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